2023 में सस्‍ती रहेगी आम आदमी की थाली! – Kisaan Tractor Bazar

नई दिल्ली. महंगाई के बीच आम आदमी के लिए राहत की खबर आई है. देश में रिकॉर्ड उत्पादन और सप्लाई बढ़ने से देश में गेहूं और चावल के भाव आने वाले दिनों में स्थिर रहेंगे यानी लोगों को सस्ते दाम पर अनाज मिलेगा. मौजूदा फसल वर्ष (2022-23) में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 112 मिलियन टन छूने की संभावना है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 5% की वृद्धि दिखाता है. मौसम की अनुकूल स्थिति, बढ़ता रकबा और जलवायु की बुवाई के कारण प्रोडक्शन बढ़ा है. इसके अलावा, सरकार चावल के कुछ निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि घरेलू कीमतें स्थिर हैं.

इस बीच फूड कॉर्पोरेशन इंडिया ने अनाज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इस महीने आटा मिलों जैसे थोक खरीदारों को 2-2.5 मीट्रिक टन गेहूं की खुले बाजार में बिक्री करने का फैसला किया है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, इस बिक्री के लिए वित्त मंत्रालय से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

गेहूं के रिकॉर्ड प्रोडक्शन से मजबूत हुआ स्टॉक
नवीनतम आकलन के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 तक एफसीआई के पास रखा गया गेहूं का स्टॉक 7.4 मीट्रिक टन के बफर के मुकाबले 11.3 मीट्रिक टन होगा. कृषि मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन में, गेहूं का रकबा 33.2 मिलियन हेक्टेयर (एमएच) तक पहुंच गया है, जबकि पिछले पांच साल के औसत बुवाई क्षेत्र 32.4 एमएच है. गेहूं, एक प्रमुख रबी या सर्दियों की फसल है, जो ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है.

करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा, “जलवायु अनुकूल किस्मों की बुवाई, वर्तमान में अनुकूल मौसम की स्थिति और गेहूं के तहत थोड़ा अधिक रकबा इस साल के गेहूं उत्पादन को रिकॉर्ड 112 मीट्रिक टन तक पहुंचा सकता है.”

सरकार हटा सकती है चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध
31 दिसंबर, 2022 से मुफ्त राशन योजना को बंद करने के सरकार के फैसले के बाद, एफसीआई के पास बफर के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के अंत तक 3 मीट्रिक टन अधिशेष गेहूं का स्टॉक होने की संभावना है. भारत ने घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. गेहूं की खुदरा महंगाई नवंबर 2022 में सालाना आधार पर 17.6% बढ़ी.

वहीं, सरकार चावल के कुछ निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि घरेलू कीमतें स्थिर हैं. सरकारी भंडार कल्याणकारी कार्यक्रमों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से वाकिफ एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. भारत ने सितंबर में सफेद और भूरे चावल के शिपमेंट पर 20% शुल्क लगाया और विदेशों में टूटे चावल की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.

Article from New18

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *